जज, वकील पर ऐसे हुए खफा की इस शब्द के बदले आधी सैलरी देने को तैयार
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कोलकाता टाइम्स :
सुप्रीम कोर्ट में वकील अपनी बात रखने के दौरान जजों को माई लॉर्ड या योर लॉर्डशिप का संबोधन दिया करते थे. हालांकि 2006 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक खास प्रस्ताव पारित किया जिसमें खास फैसला लिया गया था. बार काउंसिल ने कहा कि अब कोई भी वकील जजों को माई लॉर्ड या योर लॉर्डशिप से संबोधित नहीं करेगा. यह बात अलग है कि वकील इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं. इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट में एक दिलचस्प प्रसंग सामने आया. जस्टिस पी एस नरसिंहा की कोर्ट में एक वकील बार बार माई लॉर्ड के नाम से उन्हें संबोधित कर रहे थे. यह सुन पी एस नरसिंहा ने दिलचस्प टिप्पणी की.
जस्टिस पी एस नरसिंहा ने उस वकील से कहा कि आप कितनी दफा माई लॉर्ड्स कहेंगे, अगर आप इस शब्द का इस्तेमाल ना करें तो वे अपनी आधी सैलरी दे देंगे. उन्होंने यह भी कहा कि आप इन शब्दों की जगह सर क्यों नहीं बोलते, अगर आप ऐसा नहीं करते तो वो गिनना शुरू कर देंगे कि आप ने कितनी दफा माई लॉर्ड और योर लॉर्डशिप कहा है, सामान्य तौर पर बहस के दौरान या नियमित सुनवाई में वकील इन शब्दों का इस्तेमाल लगातार करते हैं, हालांकि वकील ही कहा करते थे कि यह औपनिवेशिक शासन का प्रतीक है और इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.