गये करोड़ों, चुनावी चंदा को गैरकानूनी बना सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के तोड़ें कमर !
कोलकाता टाइम्स :
5 जजों ने सर्वसम्मति से इस पर फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस ने कहा पॉलिटिकल प्रोसेस में राजनीतिक दल अहम यूनिट होते हैं. वोटर्स को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है जिससे मतदान के लिए सही चयन होता है. इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया जाता हैए क्योंकि इससे लोगों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन होता है और इसमें देने के बदले कुछ लेने की गलत प्रक्रिया पनप सकती है. चुनावी चंदा देने में लेने वाला राजनीतिक दल व फंडिंग करने वाला दो पार्टियां शामिल होती हैं. ये राजनीतिक दल को सपोर्ट करने के लिए होता है या फिर कंट्रीब्यूशन के बदले कुछ पाने की चाहत हो सकती है. राजनीतिक चंदे की गोपनीयता के पीछे ब्लैक मनी पर नकेल कसने का तर्क सही नहीं. यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. निजता के मौलिक अधिकार में नागरिकों के राजनीतिक जुड़ाव को भी गोपनीय रखना शामिल है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने तीन दिन की सुनवाई के बाद 2 नवंबर 2023 को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच में सुनवाई हुई. इसे लेकर चार याचिकाएं दाखिल की गई थीं. याचिकाकर्ताओं में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, कांग्रेस नेता जया ठाकुर व सीपीएम शामिल है. केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी की थी. 2 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखने के ठीक 4 दिन बाद 6 नवंबर को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी 29 ब्रांचों के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड इश्यू किए थे. 6 नवंबर से 20 नवंबर तक इश्यू किए गए बॉन्ड्स में 1000 करोड़ रुपए का चुनावी चंदा दिया गया.