यह जासूस मर्द होते हुए 33 साल एक औरत की तरह जिया
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कोलकाता टाइम्स :
1728 में एक बच्चे का जन्म होता है. उसका नाम रखा जाता है चार्ल्स डी’ऑन डी ब्यूमोंट. आगे चलकर वह बच्चा फ्रांस के लिए युद्ध लड़ता है, जासूसी करता है, राजदूत बनता है. 49 साल तक चार्ल्स की पहचान एक पुरुष की रही. इस दौरान उसने तमाम जासूसी मिशनों को अंजाम दिया. फ्रांस के राजा लुई 16वें उससे इतने प्रभावित थे कि ‘शेवेलियर’ की उपाधि दे डाली. तबसे चार्ल्स का एक नाम शेवेलियर डी’ऑन भी हो गया. 1762 में जब शेवेलियन डी’ऑन ने फ्रांस छोड़ा तब उसकी पहचान इतनी भर थी. जुलाई 1777 में जब वह वापस लौटा तो फ्रांस की सरकार ने एक घोषणा की. जिसमें शेवेलियर को एक लेखक, बुद्धिजीवी और एक महिला बताया गया. इंग्लैंड की अदालतों ने भी शेवेलियर को महिला घोषित कर दिया. जिंदगी के बाकी साल उसने एक महिला की तरह गुजारे. नाम मिला- चार्लोट डी’ऑन डी ब्यूमोंट. 1810 में जब डी’ऑन की बेहद कंगाली में मौत हुई, तब डॉक्टरों ने उसके शरीर का चेकअप किया. उन्होंने करार दिया कि कि शेवेलियर डी’ऑन जैविक रूप से पुरुष था. अखबारों में सुर्खियां बनीं. शेवेलियर डी’ऑन को ‘दुनिया का सबसे बड़ा धोखेबाज’ कहा गया.
आज शेवेलियर डी’ऑन के जिक्र पर इतिहासकारों में बहस छिड़ जाती है. कुछ मानते हैं कि डी’ऑन अपनी लैंगिक पहचान को लेकर स्पष्ट नहीं थे. कुछ का मानना है कि शेवेलियर डी’ऑन ने सामाजिक और राजनीतिक रणनीति के तहत लिंग बदला. कारण जो भी रहा हो, शेवेलियर डी’ऑन की कहानी 18वीं सदी के यूरोप की सबसे दिलचस्प कहानियों में से एक है.