अपना नहीं पराया है चावल !
कोलकाता टाइम्स
आज पूरी दुनिया में भारत चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहां के कई बड़े राज्यों में चावल एक बड़े क्षेत्रफल में उगाया जाता है। सबसे खास बात तो यह है कि पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, असम तथा पंजाब जैसे राज्यों को आज चावल उत्पादक राज्य कहा जाता है। वहीं यह दक्षिणी और पूर्वी भारत में तो चावल बड़ी संख्या में लोगों का मुख्य भोजन है। दुनिया भर में चावल को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे मलयेशिया में पादी रिया, इंडोनेशिया में पेटा बारू 8 और मेक्सिको में मिलागरो फिलीपिनो, बर्मा में इसे मैग्यॉ, नाम से बुलाते हैं। लेकिन क्या आप जानते है चावल की उत्पत्ति में भारत का कोई योगदान नहीं। देशी नहीं विदेशी है चावल।
हालांकि इसकी पैदावार को लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं लेकिन हाल ही लू होउयुआन ने अपने एक रिसर्च में बड़ा खुलासा किया है। लू होउयुआन इंस्टीट्यूट ऑफ जिओलॉजी एंड जियोफिजिक्स में रिसर्च करते हैं। उनकी रिसर्च में सामने आया है कि जिस समय युग परिवर्तन हो रहा था। धरती का जब पुराने युग यानी कि प्लाइस्टसीन से नए युग यानी कि हेलोसीन में परिवर्तन हो रहा था। उस समय स्थितियां काफी गंभीर थी। पर्यावरणीय और भौगोलिक परिवर्तन भी तेजी से हो रहे थे।
ऐसे में उस दौरान 10 हजार साल पहले हेलोसीन में नई वनस्पतियों भी विकसित हुई। जिनमें चावल की भी उत्पत्ति हुई थी। इस दौरान चीन ने उसे अपने घरेलू उत्पादन में सबसे पहले शुरू किया था। उसने बड़े स्तर पर इसकी खेती शुरू कर दी थी। हाल ही में उनकी यह रिसर्च नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के यूएस प्रोसिडिंग्स में प्रकाशित हुई है। चीन के झिंझियांग प्रांत के चीनी विज्ञान अकादमी में अवशेष और पुरातत्व संस्थान, भौगोलिक विज्ञान संस्थान और प्राकृतिक संसाधन अनुसंधान संस्थान में इस पर लंबे समय बहस हो रही थी। जिसमें चावल की सबसे पहले खेती मुख्य बिंदु थी।
हालांकि यह आकंडों के मुताबिक भी यह साफ है कि चीन आज दुनिया का बड़ा चावल उत्पादक देश बन चुका है। आज पूरी दुनिया में चावल बड़ी संख्या की भूख मिटाने का काम करता है।