February 23, 2025     Select Language
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पेड़ को ‘पेड़’ नहीं मानती यहां की सरकार 

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कोलकाता टाइम्स : 

गोवा सरकार ने नारियल के पेड़ को `पेड़’ मानने से इनकार कर दिया है और इससे नारियल के पेड़ों को काटने का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली गठबंधन सरकार की आलोचना होने लगी है। विपक्ष के साथ ही पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इससे प्रदेश में रियल स्टेट के लिए नारियल के जंगलों को काट दिया जाएगा। वहीं गोवा सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए दावा किया है कि पहले की सरकारों ने नारियल को गलती से पेड़ की श्रेणी में डाल दिया था।

फटोरदा के निर्दलीय विधायक विजय सरदेसाई ने बताया, “एक तरफ जहां सरकार गाय को पवित्र पशु के नाम पर संरक्षण देती है, लेकिन वहीं नारियल के पेड़ों को काटने की खुली छूट दे रही है, जबकि नारियल का पेड़ न सिर्पâ पवित्र पेड़ है, बल्कि राज्य में इसे कल्पवृक्ष भी कहा जाता है। सरकार ने नारियल को वृक्ष की श्रेणी से बाहर रख कर रियल स्टेट कारोबारियों के लिए रास्ता साफ किया है।” गोवा में नारियल पानी से स्थानीय पेय टोडी बनाई जाती है। इसके अलावा टोडी से ही अल्कोहलिक पेय फेनी बनाई जाती है। नारियल के खोल से विभिन्न हैंडीक्राफ्ट आइटम बनाए जाते हैं। इसके अलावा गोवा के खानपान में भी नारियल के दूध और नारियल का बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा नारियल के पेड़ के कटने के बाद उसके तने का प्रयोग मकानों की छत बनाने में भी किया जाता है।
लेकिन पिछले हफ्ते कैबिनेट के फैसले में सरकार ने नारियल पेड़ को `पेड़’ की श्रेणी से बाहर कर दिया। वन मंत्री राजेंद्र अर्लेकर के मुताबिक, नारियल का पेड़ जैविक रूप से भी पेड़ की श्रेणी में नहीं है। अर्लेकर कहते हैं, “2008  में इसे कांग्रेस की सरकार ने गलती से पेड़ की श्रेणी में डाल दिया था। हमने इस विसंगति को दूर कर दिया है।”

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