क्या आपको पता है भारत के इस आखिरी गाँव में है स्वर्ग जाने का रास्ता
कोलकाता टाइम्स :
घूमने का शौखिन आखिर कौन नहीं होता, आप भी देश के कई मशहूर पर्यटन स्थलों को घूमने गए होंगे और ग्रामीण इलाकों में भी यात्राएं की होंगी। और ऐसी कई यात्राएं है जो आपकी ‘विश लिस्ट’ में भी शामिल होंगी।
लेकिन क्या आपने कभी ऐसे गाँव के बारे में सुना है जो देश का ‘आखिरी गांव’ हो ?शायद नहीं। लेकिन ये सच है जी हाँ, उत्तराखंड के चमोली जिले में बसे ‘मीणा’ गांव को देश का आखिरी गांव कहा जाता है। चमोली जिले में बसा यह गाँव बद्रीनाथ शहर से केवल 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है,और बद्रीनाथ की तरह ही यह भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहने के कारण उत्तराखंड सरकार ने ‘माणा’ को ‘पर्यटक ग्राम’ घोषित कर दिया है।
आइये हम बताते है इस गाँव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
-सरस्वती नदी के किनारे बसा ‘माणा’गाँव भारत और चीन/तिब्बत की सीमा पर बसा हुआ है। यह समुद्रतल से 3219 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह गांव हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
-‘माणा’गाँव का पौराणिक नाम ‘मणिभद्र’ है,सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम भी यही होता है। यहाँ स्थित कुछ प्रचीन मंदिर और गुफाएं बहुत प्रसिद्ध हैं।यहाँ आने वाले बद्री भक्त ‘माणा’ की यात्रा करने का मौका नहीं छोड़ते|
-महाभारत काल में पांडवो ने स्वर्ग जाने के लिए सरस्वती नदी से यही से रास्ता माँगा था और सरस्वती नदी द्वारा रास्ता ना दिए जाने पर भीम ने दो बड़ी शिलाएं डालकर पुल बना दिया और पांडव इसी पुल से होकर स्वर्ग की ओर गए थे।
-माणा में महाभारत के रचनाकार वेद व्यास जी का मंदिर भी बना हुआ है। कहा जाता है कि व्यास जी उस काल में इसी गुफा में निवास करते थे। इसके अलावा यहाँ विष्णु जी की एक प्राचीन प्रतिमा भी है।
-ऐसा भी माना जाता है कि जब भगवान गणेश वेद लिख रहे थे, तब सरस्वती नदी पूरे वेग से बह रही थी। इस दौरान वे बहुत अधिक शोर कर रही थी, जिससे गणेश जी के काम में खलल पड़ रहा था। गणेश जी ने सरवस्ती को शांत होने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं मानी तो उन्होंने सरस्वती नदी को विलुप्त होने का श्राप दिया था।
-माणा ट्रैकिंग के लिए भी एक बहुत अच्छी जगह है। यहाँ ट्रैकिंग के लिए कई रुट्स निकलते हैं।
-अगर आप भी चाय पीने के शौक़ीन है तो ‘देश की आखिरी चाय की दुकान’ में मिलने वाली चाय का लुत्फ़ ज़रूर उठाइएगा।
-‘माणा’मुख्या रूप से अपने शॉल्स, मफलर्स, कैप्स, अशन, पंखी, और कारपेट जैसे ऊनी कपड़ों के अलावा आलू और राजमा के लिए भी मशहूर है ।