कोरोना से बचने के लिए पूरी दुनिया जिसके कायल उसका वैज्ञानिक रहस्य चौंका देगा
कोलकाता टाइम्स :
कोरोना का आतंक पुरे दुनिया में फैला है। लोग सोशल डिस्टैन्सी मानकर घरों में बबंध हैं। एक दूसरे से फैलने वाले कोरोना के लिए ऐसे में पूरी दुनिया एक दूसरे से औपचारिक शिष्टाचार में भारतीय संस्कृति को ही श्रेष्ठ मान रहे हैं। विश्व के अधिकांश देशों में जहां लोग एक दूसरे से मिलने पर हैंडशेक नहीं भी बल्कि भारत में अभी भी लोग नस्कार का ही प्रयोग करते हैं। नमस्कार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के नमस शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना। जब भी हम किसी से मिलते हैं या फिर कोई बूढ़ा-बुजुर्ग दिखता है, तो हम सबसे पहले उसे नमस्कार करते हैं। नमस्कार हमारी संस्कृति का हिस्सा है, जो सदियों से हमारी जीवनशैली से जुड़ा हुआ है।
विश्व के अधिकांश देशों में जहां लोग एक दूसरे से मिलने पर हैंडशेक करते हैं वहीं भारत में अभी भी लोग नस्कार का ही प्रयोग करते हैं। नमस्कार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के नमस शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना। नमस्कार करने का स्टाइल भले ही थोड़ा पुराना हो गया हो, लेकिन इसके पीछे छुपे वैज्ञानिक रहस्य केवल कुछ ही लोग जानते हैं। जब भी आप नमस्ते करते हैं तो, दोनों हाथों को अपने सीने के सामने जोड़ते हैं, जहां पर अनाहत चक्र स्थापित होता है।
यह चक्र प्यार और स्नेह को उजागर करता है, जो हमारा सीधा संपर्क भगवान से करवाता है। नमस्ते के पीछे छुपा वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्ति को हम लंबे समय तक याद रख सकें।