November 24, 2024     Select Language
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मोटे नहीं पागलपन के रास्ते जा रहें हैं आप !

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कोलकाता टाइम्स : 

ब तक मोटापे को दिल की बीमारियों और रक्तचाप की परेशानियों से जोड़कर देखा जाता था लेकिन जीवन के अंतिम दिनों में यह मानसिक विकृति की भी वजह बन सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों का वजन बहुत कम है, बहुत ज्यादा है या जो अपने जीवन में 40 से 60 साल की उम्र के दौरान मोटापे के शिकार होते हैं उनमें 60 पार की आयु में मानसिक विकृति ‘डिमेंशिया’ होने का खतरा बढ़ जाता है। ‘डिमेंशिया’ के लक्षणों में याददाश्त कम होना, भूलने की आदत बन जाना, निर्णय न ले पाने और रोजमर्रा के काम करने में परेशानी होने लगती है।

आस्ट्रेलियन नेशनल विश्वविद्यालय के सेंटर फॉफ मेंटल हेल्थ रिसर्च की कैरिन एन्स्टे ने यह अध्ययन किया था।विश्वविद्यालय द्वारा जारी वक्तव्य के मुताबिक इस अध्ययन में 25,000 लोगों में शरीर के भार और मानसिक विकृति में सम्बंध का अध्ययन किया गया था। एन्स्टे कहती हैं कि उनके अध्ययन में मिले प्रमाण बताते हैं कि मोटापे से गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है और इससे मानसिक विकृति का खतरा बढ़ जाता है।उन्होंने कहा कि जीवन के मध्यकाल में अधिक वजन से अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है। मोटापे के शिकार लोगों में यह खतरा और भी ज्यादा होता है।

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