इन 5 ऑफबीट जगहों के बगैर अधूरा आपका घूमना
किन्नौर
किन्नौर एक ऐसी जगह है, जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए जाना जाता हैं। किन्नौर में स्थित सांगला घाटी अपने पहाड़ो की ढलानों, सदाबहार जंगलों और बर्फ से ढकी चोटियों से लेकर अपने लाल सेब के बाग और स्वादिष्ट चेरी के पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है। यह आकर्षक घाटी कैम्पिंग के लिए भी जानी जाती है। यहां की यात्रा और भी रोमांचक हो जाती है। जब आप उबड़ खाबड़ रास्तों का कठिन सफर तय कर मंजिल तक पहुंच जाते हैं।
चितकुल
चितकुल को भारतीय सीमाओं के भीतर स्थित अंतिम आबाद गांव कहा जाता है। यह गांव सांगला से 28 किमी की दूरी पर किन्नौर घाटी में ही स्थित है। चितकुल अपनी लुभावनी सुंदरता और शांत वातावरण के लिए बेहत प्रचलित है। इस गांव में ऑर्किड, पहाड़, विशाल चट्टानें, नदी, जंगल और घास के मैदान हैं।
चूड़धार
चूड़धार मंदिर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है। इसकी सुंदरता वाकई में देखने लायक है। चूड़धार मंदिर को शिरगुल महाराज का स्थान भी माना जाता है। चूड़धार का सफर पर्यटक टैंकिग के जरिए पूरा करता है। यह सफर पहांड़ों की सुंदर वादियों के बीच मनमोहक नजारों के साथ पूरा किया जाता है। मंदिर साल के 6 महीने ही खुला रहता है। ता दें कि अब प्रदेश सरकार द्वारा चूड़धार के लिए करीब 8 किलोमीटर लंबे रोपवे का निर्माण किया जा रहा है ।
अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं, तो नारकंडा आप के लिए बेहतरीन विकल्प है। नारकंडा की यात्रा करते हुए आप ट्रैकिंग, कैम्पिंग, स्कींईंग एंजॉय कर सकती हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नारकंडा भारत का सबसे पुराना स्कींग डेस्टिनेशन है।
हाटू माता मंदिर
हाटू माता मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह चोटी शहर का सबसे ऊंचा पॉइंट है और यहां से हिमालय के पर्वत काफी सुंदर नजर आते हैं। यहां पर बर्फ के पहाड़ पाइन के घने जंगल, सेब के बगीचे, और हरे धान के खेत हैं, जिन्हें देखकर आपको बहुत अच्छा लगेगा। हाटू पीक नारकंडा से 8 किमी दूर है। हिमाचली स्टाइल में बने इस मंदिर में लकड़ी की बेहद सुंदर नक्काशी की गई है।