लोकतंत्र की पवित्रता और आदर्श आचार संहिता
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-प्रियंका सौरभ सैद्धांतिक रूप से यह जितना आदर्श से युक्त है, व्यवहार में इसका अनुपालन कम ही होता दिखाई देता है। जातिवाद, क्षेत्रवाद, बाहुबल और धनबल के रसूख से भरे चुनावी अभियान में राजनीतिक दल अपनी छवि को लेकर कितने चिंतित रहते हैं इसकी बानगी आए दिन देखने को मिलती रहती है। हमारे देश में […]Continue Reading