जितना कीचड़ उछालोगे उतना कमल खिलेगा : मोदी
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न्यूज डेस्क
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर वार करते हुए कीचड़ से तुलना कर डाली। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने काफी हंगामा भी किया। लेकिन इसका कोई असर मोदी पर होता नहीं दिखा। बल्कि विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा ‘कीचड़ जितना उछालोगे कमल उतना खिलेगा।’ TDP सांसद बेल में आकर हंगामा भी किया।
पीएम ने कांग्रेस को देश के बंटवारे का जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने भी झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के रूप में तीन राज्यों का बंटवारा किया था, लेकिन कोई विवाद नहीं हुआ था। कांग्रेस ने देश का विभाजन किया है।
पढ़िए उन्होंने और क्या कहा
साथ उन्होंने कहा, देश के पहले प्रधानमंत्री सरदार पटेल होते तो मेरे कश्मीर का हिस्सा पाकिस्तान के पास नहीं होता। पूरा कश्मीर हमारा होता। मैं उन सरकारों की बात करता हूं, जहां आपके लोग बैठे हैं। गैर-एनडीए राज्यों ने एक करोड़ रोजगार देने वादा किया। देश को गुमराह करने की कोशिश मत कीजिए। कीचड़ जितना उछालोगे, कमल उतना खिलेगा।
जो बेटी पैदा नहीं हुई वो कागज़ों पर विधवा हो जाती है। जिसका जन्म नहीं हुआ, आपने उसको पेंशन दी। सारा पैसा बिचौलियों के पास चला जाता था। हमने आधार से बिचौलियों पर लगाम लगाई। नए अवसर पैदा हो रहे हैं। ईपीएफ में 70 लाख नए नाम दर्ज हुए हैं। देश का युवा नौकरी की भीख मांगने वाले नहीं हैं। वो अपना काम करने वाले लोग हैं। विदेश से पढ़कर आए नौजवान स्टार्टअप शुरू करने की बात कर रहे हैं। इन युवाओं का हौसला बढ़ाना चाहिए न कि इन्हें निराश करने की कोशिश करनी चाहिए। छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता। टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।
देश में जो विकास हुआ है इसमें देश की पुरानी सरकारों का भी योगदान है। ऐसा एक भी वाक्य किसी कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने लाल किले से बोला हो? ये हम हैं जो सभी पुरानी सरकारों का लाल किले से धन्यवाद देते हैं. लोकतंत्र इसको कहते हैं।
कांग्रेस अपने शासन का बखान करती है। रेडियो पर आपके गीत गाए जाते थे। कांग्रेसी नेताओं ने एक ही पार्टी के गीत गाए।
लिच्छवी साम्राज्य के समय भी 2500 साल पहले भी लोकतंत्र की व्यवस्था थी। सहमति, असहमति सब थी। लोकतंत्र की बात आप लोग करते हैं। राजीव गांधी ने एक दलित मुख्यमंत्री का अपमान किया था। दलित सीएम के अपमान के बाद टीडीपी पैदा हुई। औरंगज़ेब, शाहजहां की बात करने वाले लोकतंत्र की बात करते हैं। तेलंगाना बनाए जाने के पक्ष में हम भी हैं। लेकिन चुनाव की हड़बड़ी में आपकी उस हरकत की वजह से आज भी समस्याएं बनी हुई हैं।
कल खड़गे ने बशीर बद्र की शायरी पढ़ी कि दुश्मनी जमकर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे कि जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदगी न हो। मैं उम्मीद करता हूं कि सिद्धारमैया ने आपकी बात सुन ली होगी लेकिन खड़गे साहेब बशीर बद्र की शायरी की शुरुआत की दो लाइन पढ़ लेते तो बेहतर होगा। उन दो लाइनों में बशीर ने कहा था कि जी चाहता है सच बोलें- क्या करें हौसला नहीं होता।
कांग्रेस अपने शासन का बखान करती थी. रेडियो पर आपके गीत गाए जाते थे. लोकतंत्र नेहरू और कांग्रेस का दिया हुआ नहीं है, ये सदियों पहले से भारत में है। आपकी पार्टी के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाते हैं और आपकी कैबिनेट के आदेश को फाड़ देते हैं। आप लोकतंत्र की बात करते हैं।