दिब्यांग बेटा मरते पिता को कई किलोमीटर ठेले में लाद पहुंचा अस्पताल

न्यूज डेस्क
यह कैसे अच्छे दिन ? जहाँ एक गरीब को शमसान जाने के लिए कंधा तो छोड़ों एक गाड़ी तक नसीब नहीं होती। बीमार पिता को अस्पताल लेन जाने के लिए दिब्यांग बेटा कई किलोमीटर तक ठेले पर दाल ले जाता है। इस घटना ने ओडिशा के दानाराम माझी की घटना फिर एकबार याद दिला दी।
गरीबी और बदकिस्मती ने तो 50 साल के मंशाराम का पीछा मरने के बाद भी नहीं छोड़ा। त्रिवेदीगंज सीएचसी में रहा मंसाराम का परिवार मंशाराम की मौत के बाद घंटों इस उम्मीद में था कि उसे सरकार की किसी न किसी योजना का तो लाभ मिलेगा ही, जिससे वह अपने पिता के शव को वहां से ले जाकर अंतिम संस्कार कर सके। लेकिन उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया, दिब्यांग राजकुमार और मासूम लड़की पिता के शव का अंतिम संस्कार तक पैसों की अभाव में नहीं करा पाए है।
घटना सोमवार की है। बीमार मंशाराम का बीटा राजकुमार और बेटी ठेला पर लादकर सीएचसी त्रिवेदीगंज पहुंचे थे, जहां उसकी मौत हो गई। सीएचसी के डॉक्टर बस इतना कहते रहे कि गांव के प्रधान को जानकारी दी गई है। वह मदद करेंगे, लेकिन कोई नहीं आया।
मौत के एक दिन बीतने के बाद भी ना हस्पताल न प्रशासन किसी और से कोई मदत नहीं मिलने से अभी तक मंसाराम का अंतिम संस्कार नहीं हो पाय ही। उनके परिवार के पास अब आँखों में अच्छे दिन के सपने नहीं सूखते आंशु ही दिख रहे हीं।