न्यूज डेस्क
आज से मध्यप्रदेश समेत देश के 22 राज्यों के किसान हड़ताल पर बैठ गये हैं। किसानों ने हड़ताल की शुरुवात सड़कों पर दूध की गंगा बहकर शुरू की। महाराष्ट्र के नासिक में किसानों के आंदोलन का असर देखने को मिला है। नासिक के येवला में किसानों ने प्रदर्शन जाहिर करने के लिए सड़क पर दूध बहाया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसके अलावा पंजाब के कुछ इलाकों में किसानों ने सड़क पर सब्जियां फेंककर प्रदर्शन जाहिर किया।
दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के खरगोन सब्जी मार्केट में सुबह-सुबह इसका कोई असर नहीं दिखा। यहां हर रोज की तरह सब्जियां और अन्य सामान भरपूर मात्रा में मंडी में पहुंचा। इतना ही नहीं आंदोलन के पहले दिन सब्जियों के भाव में भी कमी आई। रोज 50 से 60 रुपए बिकने वाले टमाटर आज 30 रुपए प्रति किलो और करेला 30 से 40 रुपए प्रति किलो है। वहीं, दूध उत्पादक भी शहर में दूध की सप्लाई कर रहे है। उनका कहना है कि हमें हड़ताल के बारे में कोई सूचना नहीं है। उनका कहना था कि इससे पहले भी हड़ताल की जाती थी तो बैठकर इसकी योजना बनाई जाती थी. लेकिन, इस बार ऐसा कुछ नहीं है।
2017 में 1 जून को आंदोलन करने वाले किसानों का कहना है कि एक साल पहले केंद्र और राज्य सरकारों ने देश के अन्नदाता से जो वादे किए थे, वो अब तक पूरे नहीं हुए हैं। आंदोलन की शुरुआत करने से पहले ही किसानों ने इस बात का ऐलान कर दिया था कि वह ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर आने वाली फल, सब्जियों और दूध की आपूर्ति नहीं होने देंगे। हड़ताल पर बैठे किसानों की मांगे कुछ इस प्रकार है-
देश के किसानों का सारा ऋण एक साथ माफ किया जाए।
सभी फसलों पर लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य को बढ़ाया जाए।
छोटे किसान या फिर किसी अन्य की भूमि पर खेती करने वाले किसानों की आय मासिक तौर पर निर्धारित होनी चाहिए।