एलियंस को लेकर बड़ा खुलासा: चाँद पर था उनका बसेरा
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कोलकाता टाइम्स
एलियन को लेकर हमेशा से सवाल बने रहे हैं। इसपर लगातार शोध होते रहे हैं। लेकिन इस बात का खुलाशा नहीं हो पाया है कि वास्तब में यह होते हैं या नहीं। हाल ही में एक शोध में वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि एलियन हुआ करते थे और उनका चांद पर बसेरा हुआ करता था। वैज्ञानिकों को दावा है कि दो अलग-अलग अवधियों के दौरान चांद पर एलियन मौजूद थे।
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि संभवत: उल्का पिंडों के ब्लास्ट के कारण एलियनों के रहने के अनुकूल वातावरण पैदा हुआ। जब यह हुआ, तब का वातावरण संभवत: आज की तुलना रहने योग्य ज्यादा रहा होगा। ग्रहों पर शोध करने वाले दो वरिष्ठ वैज्ञानिकों के मुताबिक संभवत: चांद पर चार अरब और 3.5 अरब साल पहले जीवन जीने योग्य माहौल था।
शोधकर्ताओं का दावा है कि यह स्थिति संभवत: 3.5 अरब साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट के कारण भी पैदा हुई होगी। उस वक्त चांद से बड़ी मात्रा में गर्म गैस रिस रही थी। जिस गैस के कारण सतह पर पानी तैयार हुआ। वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोबायॉलजिस्ट डिर्क शुल्ज-माकुच ने कहा, अगर शुरुआती समय में चांद पर लंबे समय के लिए पानी और विशिष्ट वातावरण था, तो हमें लगता है कि चांद की सतह पर अस्थायी रूप से जीवन जीने योग्य माहौल था। शुल्ज ने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के ग्रह विज्ञान और एस्ट्रोबायॉलजी के प्रफेसर इयान क्राफॉर्ड के साथ मिलकर यह पेपर तैयार किया है। माना जाता है कि चांद की सतह मैग्नेटिक फील्ड से कवर थी जिसने घातक गर्म हवा से किसी भी प्रकार के जीव की रक्षा की होगी।
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि संभवत: उल्का पिंडों के ब्लास्ट के कारण एलियनों के रहने के अनुकूल वातावरण पैदा हुआ। जब यह हुआ, तब का वातावरण संभवत: आज की तुलना रहने योग्य ज्यादा रहा होगा। ग्रहों पर शोध करने वाले दो वरिष्ठ वैज्ञानिकों के मुताबिक संभवत: चांद पर चार अरब और 3.5 अरब साल पहले जीवन जीने योग्य माहौल था।
शोधकर्ताओं का दावा है कि यह स्थिति संभवत: 3.5 अरब साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट के कारण भी पैदा हुई होगी। उस वक्त चांद से बड़ी मात्रा में गर्म गैस रिस रही थी। जिस गैस के कारण सतह पर पानी तैयार हुआ। वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोबायॉलजिस्ट डिर्क शुल्ज-माकुच ने कहा, अगर शुरुआती समय में चांद पर लंबे समय के लिए पानी और विशिष्ट वातावरण था, तो हमें लगता है कि चांद की सतह पर अस्थायी रूप से जीवन जीने योग्य माहौल था। शुल्ज ने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के ग्रह विज्ञान और एस्ट्रोबायॉलजी के प्रफेसर इयान क्राफॉर्ड के साथ मिलकर यह पेपर तैयार किया है। माना जाता है कि चांद की सतह मैग्नेटिक फील्ड से कवर थी जिसने घातक गर्म हवा से किसी भी प्रकार के जीव की रक्षा की होगी।