यहां शादी से पहले उतारे जाते हैं दूल्हे के कपड़े, वजह जान कह उठेंगे ‘वाह’!
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कोलकाता टाइम्स :
मिथिला की शादी हर किसी के लिए एक कौतूहल का विषय बनी रहती है। यहां के लोग कई सदी से शादी विवाह के मामले में पूरे हर किसी से अलग है। ये लोग अपनी शादी वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार करते है। जिसके कारण से इन लोगों का मानना है कि हमारी यहां इस पद्धति से हुई शादी में आजतक कोई शिकायत नहीं हुई हैं। जहां देश के हर कोने के दूसरे घर में कोई ना कोई अपनी वैवाहिक जीवन से परेशान है। जिसके कारण उनका वैवाहिक जीवन असफल हो जाता है। वहीं अगर हम मिथिला की बात करें तो इनके यहां पर हुई शादी कई सदी से सफल होती नजर आई हैं।
आज शहरों में अनेक मैरेज ब्यूरो या मैचिंग सेंटर के रूप में कई व्यावसायिक संस्थाएं खुल गई हैं जो शादी योग्य वर-वधू को एक दूसरे से जोड़ने का काम करती हैं।लेकिन वह अपने स्तर पर कोई जांच-पड़ताल नहीं करती हैं। लेकिन आज भी मिथिला में होनी वाली शादी इन सबसे बिल्कुल अलग हैं।
आइए आज हम आपको ये बताने वाले हैं कि आखिर मिथिल ऐसे क्या करता हैं कि उनके द्वारा की गई शादी कभी नहीं टूटती…
यहां पर शादी में शामिल होने वाले लोगों को गवाह के रूप में माना जाता है।
इस समाज की जडे़ं शादी के मामले में इतनी मजबूत हैं कि यहां पर शादी के बाद रिश्ते को तोड़ने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता हैं।
यहां पर अगर शादी में किसी तरह की ऊच नीच होती है तो शादी में मौजूद बड़े बुजुर्ग लोग आपस में बैठकर समस्या का हल कर लेते हैं। अगर हम आज की होने वाली शादी की बात करें तो कुछ होने के साथ ही कोर्ट का दरवाज खटखटा देते हैं।
मिथिला में वर-वधू के माता -पिता की सात पीढ़ी के बीच रक्त संबंधों का खयाल रखा जाता है। अगर दोनों के बीच रक्त समान पाए जाते है तो उनकी शादी नहीं होती हैं।
इनके पास सैकड़ों वर्ष की वंशावली दस्तावेज मौजूद हैं।
यहां पर शादी से पहले दुल्हे की नाक दबाई जाती हैं जिससे यह पता चलता हैं कि कहीं दुल्हे को मिर्गी की बीमारी तो नहीं है। इसके साथ ही यहां पर शादी से पहले दुल्हे के कपड़े उतारे जाते है। इसका मुख्य कारण यह हैं कि दूल्हे की जांच की जाती है कि कही दूल्हे को चर्म रोग ना हो। इस जांच में अगर दुल्हा असफल हो जाता हैं तो शादी रोक दी जाती है।
यहां शादी के होने के बाद एक साल तक नाना प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं।