रोंगटे खड़े कर देंगे जब जानेंगे रोंगटे खड़े होने का कारण
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कोलकाता टाइम्स :
रोंगटे खड़े होना किसी व्यक्ति की त्वचा के रोमों के आधार पर अनायास विकसित होने वाले उभार हैं, जो संगीत, डर, ठंड या फिर गहन भावनाओं जैसे भय, विषाद, खुशी, उत्साह, प्रशंसा और कामोत्तेजना का अनुभव करने के कारण प्रकट हो सकते हैं। शरीर पर मौजूद प्रत्येक रोआं मांसपेशियों से जुड़ा होता है।
आइए हम आपको बताते हैं कि रोंगटे क्यों खड़े होते हैं.
1-व्यक्ति का दिमाग एक केन्द्रीय कम्प्यूटर की तरह शरीर के सभी हिस्सों को संचालित करता है। इसके लिए वह नर्वस सिस्टम की सहायता लेता है। पूरे शरीर में नाड़ियों यानी नर्व्स का एक जाल है। मस्तिष्क से हमारी रीढ़ की हड्डी जुड़ी है, जिससे होकर धागे जैसी नाड़ियां शरीर के सभी हिस्से तक जाती हैं। दिमाग से निकलने वाला संदेश शरीर के हर अंग तक जाता है।
2-इसमें ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम होता है, इसके दो हिस्से होते हैं – सिम्पैथेटिक और पैरासिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम। जब आप कोई डरावनी चीज देखते हैं या जोशीला और भावुक संगीत सुनते हैं तब सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम दिल की गति बढ़ा देता है। उसका उद्देश्य शरीर के सभी अंगों तक ज्यादा रक्त पहुंचाना होता है।
3-यह किडनी के ऊपर एड्रेनल ग्लैंड्स से एड्रेनालाइन हार्मोन का स्राव करता है, जिससे मासंपेशियों को अतिरिक्त शक्ति मिलती है। यह इसलिए होता है ताकि आपको उस परिस्थिति का सामना करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा मिल सके। इसके अलावा शरीर की मांसपेशियां शरीर के रोयों को उत्तेजित करती हैं ताकि शरीर में गर्मी आए। यह प्रतिक्रिया सर्दी लगने पर भी दोहरायी जाती है।