खुद शिव गोपी के वेश में सोलह श्रृंगार कर यहां बिराजते हैं
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कोलकाता टाइम्स :
विश्व के एक मात्र गोपेश्वर मंदिर में भगवान शिव खुद गोपी रूप में हैं। गोपी रूपधारी भगवान शंकर की शिवरात्रि के मौके पर हजारों भक्तों ने जल चढ़ाकर पूजा अर्चना की। नाक में नथ और पूरे सोलह सिगार देखकर आप भगवान शिव को शायद ही पहचान पाए हो!
ये हैं गोपेश्वर महादेव और गोपी रूप में ही की जाती है इनकी पूजा। कहा जाता है कि यहां पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है वहीं सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। एक पौराणिक इतिहास के मुताबिक जब द्वापर में भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया था और इसे देखने जब 33 करोड़ देवता आए थे तो उस वक्त ये पता चला कि भगवन श्री राधा कृष्ण के महारास को केवल महिला ही देख सकती है। सभी देवता वापस लौट गए मगर भगवान शंकर नहीं लौटे। जब समझाने के बाद भी भोलेनाथ नहीं माने तो पार्वती ने उन्हें यमुना महारानी के पास भेज दिया जहां यमुना जी ने भोले भंडारी को गोपी का रूप धारण कराया था|
गोपी रूप धारणकर भगवान शंकर महारास करने लगे। जिन्हें भगवान कृष्ण ने पहचान लिया। महारास के बाद भगवान कृष्ण ने स्वम शंकर भगवान की पूजा की और राधा जी ने उन्हें वरदान दिया की आज से लोग यहां गोपी के रूप में तुम्हारी पूजा किया करेंगे। तब से लेकर आज तक यहां लोग शिव को गोपी के रूप में पूजते हैं और पूरे श्रृंगार का सामान भी इस मंदिर में चढ़ाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त यहां आकर महाशिवरात्रि के अवसर पर गोपेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करता है उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसी भाव से आज हजारों लोगों ने यहां आकर विधि विधान से गोपेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की। सुबह से ही यहां महिला पुरुष-भक्तों की लाइन लगी रही। मंदिर परिसर में बम-बम भोले के जयकारे सुनाई देते रहे। पूरा वातावरण शिवमय नजर आया।