कोलकाता टाइम्स :
पुणे में मेडिकल लापरवाही से दो मरीजों की जान पर बन आई. दोनों को अगल-बगल लिटाकर खून चढ़ाया जाना था. शनिवार को उन्हें गलती से दूसरे ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया गया. गनीमत रही कि पास बैठे एक मरीज के रिश्तेदार ने ब्लड पाउच पर लिखा नाम पढ़ लिया. फौरन ब्लड ट्रांसफ्यूजन रोका गया. अभी दोनों मरीजों को आईसीयू में ऑब्जर्वेशन पर रखा गया है. उन्हें 72 घंटों तक निगरानी में रखने के बाद क्लियर हो पाएगा कि सेहत कैसी है. हालांकि, पूरी तरह से स्थिति साफ होने में 14 दिन तक लग सकते हैं. मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, किसी व्यक्ति को गलत ब्लड टाइप का खून चढ़ाना जानलेवा साबित हो सकता है. जिसे गलत ब्लड दिया गया है, उसका इम्यून सिस्टम दूसरे ब्लड ग्रुप की कोशिकाओं पर हमला शुरू कर देता है. ऐसे में ब्लड ट्रांसफ्यूजन का कोई मतलब नहीं रह जाता. इम्यून और क्लॉटिंग सिस्टम की सक्रियता से मरीज शॉक में जा सकता है. उसकी किडनी फेल हो सकती है, ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी आती है, यहां तक कि मरीज की मौत भी हो सकती है. इसलिए खून चढ़वाते समय बेहद सावधान रहना चाहिए.
जब मरीज के शरीर में बाहरी रक्त चढ़ाया जाता है तो उसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन कहते हैं. मरीज की नस में सुई लगाई जाती है, यह सुई एक कैथेटर से जुड़ी रहती है. खून को इसी इंट्रावीनस (IV) लाइन के जरिए शरीर में दाखिल कराया जाता है. ब्लड ट्रांसफ्यूजन की प्रक्रिया में मरीज को सही खून चढ़ाया जाना बहुत जरूरी है.
खून चार टाइप का होता है- A, B, AB और O. ये टाइप खून की कोशिकाओं पर मौजूद एंटीजेंस के हिसाब से तय होते हैं. O ब्लड ग्रुप का खून किसी को भी चढ़ाया जा सकता है. वहीं, AB ब्लड ग्रुप वाले मरीज को किसी भी ग्रुप का खून दिया जा सकता है. इसके अलावा Rh फैक्टर का ध्यान रखना भी जरूरी है. यह एक तरह का एंटीजन होता है. किसी व्यक्ति का खून या तो Rh पॉजिटिव होता है या Rh नेगेटिव. अगर किसी व्यक्ति का खून Rh+ है तो उसे Rh पॉजिटिव या Rh नेगेटिव ब्लड दिया जा सकता है. हालांकि, Rh- ब्लड की सूरत में मरीज में को सिर्फ Rh नेगेटिव ब्लड ही चढ़ाना चाहिए.