September 29, 2024     Select Language
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ज्यादा स़फाई से आफत आई

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कोलकाता टाइम्स : 
ज्यादा सफाई भी आफत बन सकती है। खासकर तब जब सफाई से वे सूक्ष्मजीव भी मरने लगें जो उपयोगी हैं. दरअसल हमारे साबुन बैक्टीरिया रोधी होते हैं। घरों में इस्तेमाल होने वाले क्लीनर्स भी 99,9 फीसदी कीटाणुओं को खत्म कर देते हैं। आम धारणा यही है कि बैक्टीरिया, कीटाणु अच्छे नहीं होते.कुछ वैज्ञानिक ये भी मानते हैं कि ज्यादा स़फाई से रहने से ही अस्थमा और एलर्जी जैसी बीमारियां होती हैं और पिछले 20 साल में ये खासी बढ़ रही हैं।

19वीं सदी में जर्मन ़िफ़जीशियन रॉबर्ट कोच ने स्पष्ट किया कि कुछ बैक्टीरिया के चलते ़खास तरह की बीमारियां होती हैं। तब से स़फाई और स्वच्छता ने हमारी सेहत को बेहतर बनाया है। किन्तु सारे बैक्टीरिया खराब नहीं होते। कुछ तो का़फी उपयोगी और स्वास्थ्य के लिए बेहतर होते हैं। ये वैसे बैक्टीरिया होते हैं जो विटामिन को हमारी पेट और आंतों तक पहुंचाते हैं। हानिकारक रोगाणुओं से हमारी त्वचा की रक्षा करते हैं। जैविक वेस्ट को नष्ट करते हैं। इतना ही नहीं, हवा में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन का स्तर कायम रखने में मदद करते हैं। वे पृथ्वी को जीवनलायक ग्रह बनाए रखने में योगदान देते हैं।
बेकर प्रो़पेशनल एजुकेशन स्कूल के माइक्रोबायलॉजिस्ट मेरी रुएबुश कहती हैं-ये रोगाणु हमारी प्रतिरोधी क्षमता, ऑटि़ज्म, एलर्जी, मूड और हमारे नर्वस सिस्टम के विकास से जुड़े होते हैं।
यह एक्सपो़जर थेरेपी हमारे जन्म के समय से शुरू होती है। यही वजह है कि प्राकृतिक रूप से मां के पेट से निकले बच्चों में सी़जेरियन ऑपरेशन के जरिए जन्म लेने वाले बच्चों की तुलना में एलर्जी की समस्या कम होती है।
ग्राहम रूक के मुताबि़क इनमें कुछ अच्छे रोगाणुओं के चलते उम्र बढ़ने के साथ हमें का़फी फ़ायदा होता है। लेकिन ज़््यादा स़फाई से रहने पर इन दोस्त रोगाणुओं से संपर्क खत्म हो सकता है।

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