इसके हाई स्पीड के साथ ही दौड़ रही आपकी नींद
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मगर, शोधकर्ताओं ने पता किया है कि हाई स्पीड इंटरनेट ने इस समस्या को काफी हद तक बढ़ाया है। यह अध्ययन शुक्रवार को जर्नल ऑफ इकोनॉमिक बिहेवियर एंड ऑर्गेनाइजेशन में प्रकाशित किया गया है। इसकी फंडिंग यूरोपीय रिसर्च काउंसिल ने की थी। इसमें कहा गया है कि हाई स्पीड इंटरनेट का उपयोग नहीं करने वालों की तुलना में इसका उपयोग करने वालों की नींद में हर रात को 25 मिनट की कमी आई है। यह पहला अध्ययन है, जिसमें नींद की कमी को ब्रॉडबैंड के साथ जोड़ा गया है।
बेडरूम के डिजिटलाइजेशन की वजह से भी यह समस्या बढ़ी है। यानी फोन, लैपटॉप, टीवी आदि की कमरों में घुसपैठ को भी स्लीप डिसऑर्डर के साथ जोड़ा गया। स्मार्टफोन और कंप्यूटर की लाइट मेलाटोनिन के निर्माण को कम कर देता है। यह हमारे नींद चक्र को नियंत्रित करता है। देर रात को किए जाने वाले टेक्स्ट मैसेज से हमारी नींद खराब होती है और इंटरनेट की लत अनिद्रा का एक प्रमुख कारण रहा है।