May 20, 2024     Select Language
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साहित्य व कला

Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

महिलाएँ: समाज की वास्तविक वास्तुकार
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प्रियंका सौरभ हमारा समाज कहता है, पृथ्वी पर सबसे मूल्यवान वस्तु ‘स्त्रियाँ’ हैं। आइए इस धरती पर हर महिला को सलाम करें। ‘महिलाएं समाज की वास्तविक वास्तुकार हैं, वे जो चाहें वह बना सकती हैं।’ “एक महिला क्या चाहती है”? – समय, देखभाल और बिना शर्त प्यार, Continue Reading
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सही अवसर की प्रतीक्षा करने की अपेक्षा वर्तमान अवसर का उपयोग करें
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-डॉ सत्यवान सौरभ बेकार बैठने से बेहतर है कि आपके पास मानव संसाधन जैसी सभी क्षमताएं और भौतिक संसाधन जैसे संसाधन उपलब्ध है; उनका सदुपयोग करें। किसी लक्ष्य को प्राप्त करना व्यक्तियों की बौद्धिक क्षमता पर निर्भर करता है। किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने का कोई आदर्श मार्ग नहीं है। उदाहरण के लिए, मंगलयान […]Continue Reading
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हम जो कुछ भी हैं वह हमारी सोच का परिणाम है।*
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 -डॉ सत्यवान सौरभ औपनिवेशिक शासन के समय जब हर कोई बिना किसी नए विचार के अपने जीवन और नींद में व्यस्त था, उस समय हमारे स्वतंत्रता सेनानी ब्रिटिश सरकार से आजादी पाने के लिए अपनी रणनीति बनाने में व्यस्त थे। सुभाष चंदर बोस, चंदर शेखर आज़ाद, सरदार भगत जैसे सेनानी ये सभी नई सोच के साथ आते हैं […]Continue Reading
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राजनीति में धर्म आधारित लामबंदी साम्प्रदायिकता को दे रही चिंगारी
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-डॉ. सत्यवान सौरभ   कब गीता ने ये कहा, बोली कहाँ कुरान।  करो धर्म के नाम पर, धरती लहूलुहान।। (राजनीति में धर्म आधारित लामबंदी साम्प्रदायिकता को दे रही चिंगारी, सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों को रोजमर्रा की जिंदगी में काउंटर करने की जरूरत।) साम्प्रदायिकता हमारे देश में लोकतंत्र के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक थी और अब भी […]Continue Reading
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मैं ₹2000 का नोट बोल रहा हूं:
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यामिनी गुप्ता मैं ₹2000 का नोट बोल रहा हूं: हमारा आपका साथ और कुछ माह दिन और घंटों का रह गया है। लोग 8 बजे की वेट करते रहे गए मोदी जी ने 6 बजे धमाका कर दिया। शायद जापान में 8 बजे होंगे उस समय जब यह घोषणा हुई। और यह खबर सुनते ही […]Continue Reading
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धरती माता की रक्षा करें और आने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर जगह बनाएं
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-डॉ सत्यवान सौरभ महात्मा गांधी ने एक बार कहा था – पृथ्वी हर आदमी की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रदान करती है, लेकिन हर आदमी के लालच को नहीं। मनुष्यों ने पिछले 25 वर्षों में पृथ्वी के जंगल के दसवें हिस्से को नष्ट कर दिया है और यदि प्रवृत्ति जारी रहती है […]Continue Reading
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भूकंप की तैयारी सिर्फ इमारतों के बारे में नहीं है
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– डॉ सत्यवान सौरभ सोशल मीडिया, टीवी चैनलों और अखबारों के जरिए आम लोगों के जान-माल को भूकंप से बचने के लिए सतर्क और सजग किया जा सकता है। भूकंप से जान-माल से बचाव न हो पाने की वजह यह भी है कि भूकंप आने का वक्त और अंतराल के बारे में वैज्ञानिक कुछ बता […]Continue Reading
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जान के दुश्मन बनते आवारा कुत्ते
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-प्रियंका सौरभ भारत के मीडिया में लगातार ‘आवारा कुत्तों का खतरा’ सुर्खियों में रहता है। पिछले पांच वर्षों से, 300 से अधिक लोग – ज्यादातर गरीब और ग्रामीण परिवारों के बच्चे – कुत्तों द्वारा मारे गए हैं। 2017 के एक अध्ययन से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेघर कुत्ते भी वन्यजीवों के लिए […]Continue Reading
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 “बुराई तब बढ़ती है जब अच्छे लोग कुछ नहीं करते”?
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-डॉ सत्यवान सौरभ अच्छे लोगों पर अपने समुदाय को बनाए रखने के लिए बुराइयों के सामने बोलने और कार्य करने की जिम्मेदारी है।  एडमंड बर्क ने कहा था; “बुराई की जीत के लिए केवल एक चीज जरूरी है कि अच्छे लोग कुछ न करें।”  अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी कहा था कि: “दुनिया उन लोगों द्वारा […]Continue Reading
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सुख-सुविधा का पागलपन रौंद रहा मनुष्यता
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-डॉ सत्यवान सौरभ आज के भागदौड़ भरे जीवन में अच्छे जीवन की एक संकीर्ण धारणा पर ध्यान केंद्रित करने से विभिन्न नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। नैतिक मूल्यों के संकट का समाधान करने के लिए अच्छे जीवन की समग्र दृष्टि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जीवन का सही अर्थ खोजने के लिए, […]Continue Reading