April 27, 2024     Select Language
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गाय का दूध और डायबिटीज हुआ चौंकाने वाली है रिसर्च, कंट्रोल करने में होगा इस्‍तेमाल 

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कोलकाता टाइम्स : 
वैज्ञानिकों ने डायबिटीज पेशेंट के लिए इंसुलिन की कमी को दूर करने के कोशिश में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. ब्राजील में एक भूरे रंग की बोवाइन गाय को जेनेटिकली मोडिफाई करके, रिसर्चर्स ने गाय के दूध से सीधे ह्यूनम इंसुलिन और उसके प्रिकर्सर, प्रोइंसुलिन को निकालने में सफलता हासिल की, जैसा कि बायोटेक्नोलॉजी जर्नल में छपी एक ग्राउंडब्रेकिंग स्टडी में बताया गया है.
इस प्रोसेस में विशेष भ्रूण बनाने के लिए सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर शामिल था, जिन्हें बाद में गायों में इम्पलांट किया गया था. हालांकि सिर्फ एक ही ट्रांसजेनिक गाय को सफलतापूर्वक प्रोड्यूस किया जा सका, लेकिन नतीजे आशाजनक थे. दूध के विश्लेषण से प्रोइंसुलिन और इंसुलिन दोनों की मौजूदगी का पता चला, जो इंसुलिन प्रोडक्शन के लिए इस प्रोसीजर की प्रैक्टिकैलिटी को बताता है.

यहां तक ​​कि स्टडी में कुछ लिमिटेशंस सामने आई है, ह्यूस्टन में मेमोरियल हरमन के एक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. स्प्लेंसर ने कथित तौर पर ट्रांसजेनिक गायों में लैक्टेशन को प्रेरित करने के लिए हार्मोनल स्टिमुलेशन की जरूरत के बारे में चिंताओं को उजागर किया.

डॉ. स्प्लेंसर ने कहा, “रिसर्चर्स को गायों को दूध देने के लिए हार्मोनल रूप से प्रेरित करना पड़ा, जिसके कारण कम मात्रा में इंसुलिन युक्त दूध का उत्पादन हुआ. हालांकि लेखकों ने वेस्टर्न ब्लॉटिंग और मास स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग करके गाय के दूध में प्रोइंसुलिन और इंसुलिन के संकेतों की पहचान की, उन्होंने ये साबित नहीं किया कि गायों में उत्पादित इंसुलिन वास्तव में इन-विट्रो या इन-विवो में शारीरिक रूप से सक्रिय था.”

हालांकि ये सफलता इंसुलिन की कमी को दूर करने की उम्मीद जगाती है, लेकिन जेनेटिकली मोडिफाइड जानवरों के उपयोग को लेकर एथिकल चिंताओं का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए, जैसा कि रिपोर्ट्स में कहा गया है. इलिनोइस यूनिवर्सिटी अर्बाना-कैंपेन में कार्ल आर. वोसे इंस्टीट्यूट फॉर जीनोमिक बायोलॉजी में जीनोमिक बायोलॉजी के प्रोफेसर, डॉ. व्हीलर ने इस प्रक्रिया का आकलन करने के लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत पर जोर दिया.

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