पत्नी की याद में 6 दिन में किया वह कमाल, सरकार जो 28 साल में नहीं
पहाड़ी से घिरा यह इलाका प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज है, लेकिन, कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. धंतेली गांव में बहता नाला इसकी खूबसूरती को तो बढ़ाता है, लेकिन लोगों को आवाजाही करने में दिक्कतें भी खड़ी करता है.
नाले पर जुगाड़ लगाकर एक लकड़ी का पुल है. लेकिन उसे पार करना खतरे से खाली नहीं है. प्रशासन की तरफ से 28 साल पहले नाले पर पुल बनाने का काम शुरू तो हुआ. दोनों तरफ पिलर भी बना दिए गए. लेकिन, इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी उस पर छत नहीं डाली जा सकी. ऐसे में ग्रामीणों जोखिम लेकर ही नाले को पार करना पड़ता है. विद्यार्थियों और रोगियों के लिए समस्या और भी जटिल हो जाती है.
पिछले दिनों 21 मार्च को रतन की पत्नी कमलेशा देवी का हृदय गति रुकने से निधन हो गया. उनके अंतिम संस्कार में कई रिश्तेदार पुल न होने के कारण शामिल नहीं हो पाए. कमलेशा देवी के पति रतन को इस बात का गहरा दुख हुा. सदमे के बीच उन्होंने इसके लिए कुछ करने की ठानी.
रतन ने लोगों के साथ बुलाकर बातचीत की और फैसला लिया कि नाले पर खुद के पैसों से पुल बनाया जाएगा और वो भी तुरंत. फिर क्या था, पैसे इक_े किए गए और काम शुरू कर दिया गया. ग्रामीणों ने बताया कि छह दिन के भीतर ही पुल बन कर तैयार हो चुका है. पुल को अंतिम रूप दिया जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि पुल को बनाने के लिए पंचायत से अलग-अलग लोगों ने सहयोग किया. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक पुल बनाने के लिए जोश में दिखे. 80 साल के बुजुर्ग ने भी काम में हाथ बटाया.